थाईलैंड इस समय एक दोहरी मार झेल रहा है। एक ओर घरेलू राजनीतिक संकट है, दूसरी ओर अमेरिका की ओर से संभावित टैरिफ़ का खतरा। सरकार की अस्थिरता निवेशकों के भरोसे को डगमगा रही है, वहीं 36% तक के अमेरिकी टैरिफ़ थाई निर्यात पर भारी पड़ सकते हैं। तो सवाल यह है—इस हालत तक कैसे पहुंचे और आगे क्या हो सकता है?
राजनीतिक उथल-पुथल: गठबंधन टूट रहा है, कैबिनेट डगमगा रही है
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गठबंधन में दरार: फ्यू थाई पार्टी की सरकार गठबंधन दल भुमजैथाई पर निर्भर है, लेकिन मंत्री पदों को लेकर मतभेदों ने भुमजैथाई को बाहर कर दिया। इससे सरकार कमजोर हुई है और चुनावों की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
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आर्थिक खतरे का इशारा: सियाम कमर्शियल बैंक के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि थाई अर्थव्यवस्था एक और राजनीतिक टक्कर नहीं झेल सकती। अगर कैबिनेट में फेरबदल लंबा चला या संसद भंग हुई, तो आर्थिक असर गहरा होगा।
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उद्योगों में घबराहट: पहले से ही घरेलू कर्ज़ बढ़ रहा है, पर्यटन में रफ्तार धीमी है, और IT जैसे क्षेत्रों में अधूरे प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं।
अमेरिकी टैरिफ़ का खतरा: 36% की मार
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समय की उलटी गिनती शुरू: जुलाई में अमेरिकी टैरिफ़ से छूट खत्म हो रही है। अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो थाईलैंड पर 36% तक टैरिफ़ लग सकता है।
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बड़ा साझेदार: 2024 में अमेरिका ने थाईलैंड से करीब 55 अरब डॉलर का सामान खरीदा—जो थाई निर्यात का लगभग 20% है। लेकिन व्यापार घाटा 45.6 अरब डॉलर का है, जो अमेरिका के लिए चिंता का कारण है।
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थाई रणनीति: थाई सरकार अब अमेरिका से अधिक सामान आयात करने, ट्रांस-शिपमेंट पर लगाम लगाने और अमेरिका में निवेश करने जैसे कदम उठा रही है ताकि टैरिफ़ से बचा जा सके।
अर्थव्यवस्था की हालत: क्या मंदी आने वाली है?
आर्थिक संकेत ठीक नहीं दिख रहे हैं:
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निर्यात में उछाल, लेकिन टिकाऊ नहीं: मई 2025 में निर्यात में 18.4% बढ़त दिखी, लेकिन यह आंशिक रूप से कमजोर बाथ और टैरिफ़ से पहले के आखिरी ऑर्डर की वजह से था।
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उपभोक्ता विश्वास गिरा: पिछले चार महीने से गिर रहा है—यह 27 महीनों के सबसे निचले स्तर पर है। यह मंदी का संकेत हो सकता है।
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GDP ग्रोथ धीमी: पहली तिमाही में 3.1% ग्रोथ रही, लेकिन साल के लिए अनुमान घटकर 1–2% तक आ गया है।
नीतिगत फैसले: स्टिम्युलस, बैंक पॉलिसी और सुधारों की कोशिश
सरकार और सेंट्रल बैंक ने कुछ कदम उठाए हैं:
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स्टिम्युलस पैकेज:
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157 अरब बाथ का आर्थिक पैकेज लाया गया है।
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2026 के लिए 3.78 ट्रिलियन बाथ का बजट प्रस्तावित है, लेकिन इसमें टैरिफ़ के असर को अभी शामिल नहीं किया गया है।
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मौद्रिक नीति:
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बैंक ऑफ थाईलैंड ने ब्याज दर घटाकर 1.75% कर दी है, जो दो साल का न्यूनतम है। लेकिन टैरिफ़ के असर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
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संरचनात्मक सुधार:
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अमेरिका से आयातित लग्ज़री मोटरसाइकिल जैसे उत्पादों पर थाईलैंड टैरिफ़ घटाने की सोच रहा है।
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विशेषज्ञ मानते हैं कि अब समय आ गया है कि थाईलैंड दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति पर ध्यान दे।
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किन क्षेत्रों पर असर पड़ेगा और कौन संभल सकता है?
क्षेत्र | वर्तमान स्थिति | संभावित खतरे |
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मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात | मई में 18.4% की बढ़त; कमजोर बाथ ने मदद की | 36% टैरिफ़, व्यापार युद्ध का खतरा |
पर्यटन | धीरे-धीरे रिकवरी हो रही है | राजनीतिक अस्थिरता से पर्यटक डर सकते हैं |
उपभोक्ता खर्च | विश्वास 27 महीने के निचले स्तर पर | मंदी का खतरा, लोन की परेशानी |
IT और इंफ्रास्ट्रक्चर | मौजूदा प्रोजेक्ट्स जारी | नई योजनाएं अटक सकती हैं |
आगे क्या देखें: अगले कुछ महीने अहम होंगे
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टैरिफ़ डील का डेडलाइन: जुलाई से पहले अगर डील नहीं हुई, तो संकट बढ़ेगा।
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घरेलू राजनीति का भविष्य: कैबिनेट बदलने या चुनाव कराने से स्थिरता आ सकती है या और बिगड़ सकती है।
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आर्थिक नतीजे: स्टिम्युलस और ब्याज दर कटौती क्या असर दिखाएंगी?
निष्कर्ष
थाईलैंड दो बड़े संकटों के बीच फंसा है—घरेलू राजनीतिक अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ़ का खतरा। दोनों समस्याएं एक-दूसरे को और बढ़ा रही हैं। राजनीतिक अनिश्चितता से आर्थिक नीतियां धीमी पड़ती हैं, और टैरिफ़ से थाई व्यापार को झटका लग सकता है। सवाल है—क्या थाईलैंड समय रहते समाधान निकाल पाएगा या यह संकट उसे मंदी की ओर धकेल देगा?