जब कहीं संघर्ष शुरू होता है, तो सबसे पहले पर्यटक भागते हैं और यही हो रहा है थाईलैंड के सीमा क्षेत्रों में। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सैन्य झड़पों ने पर्यटन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर अरन्यप्रथेत, त्रात, चांताबुरी, उबोन रत्चथानी, सिसाकेत, सुरिन और बुरीराम जैसे प्रांतों में बुकिंग्स रातों-रात रद्द हो गई हैं।
बुकिंग्स का फ्रीफॉल एक नजर में तबाही
नीचे दिए गए टेबल से जानिए कहां कितनी बुरी तरह पर्यटन प्रभावित हुआ:
प्रांत / क्षेत्र | रद्दीकरण की दर |
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अरन्यप्रथेत (सा कैओ) | सीमा क्षेत्र में 100%, शहरी क्षेत्र में 80% |
चांताबुरी और त्रात | 80–100% बुकिंग्स रद्द |
कोह चांग, माक, कूड द्वीप | 10–60% तक गिरावट |
उबोन रत्चथानी, सुरिन, सिसाकेत | 100% ग्रुप टूर रद्द |
बुरीराम | 70% होटल बुकिंग्स में कमी |
यह असर सिर्फ सीमित क्षेत्रों तक नहीं रुका चियांग माई में 2,089, बैंकॉक में 1,863 और कुल मिलाकर 9 प्रांतों में 5,200 से अधिक बुकिंग्स रद्द की गईं।
पर्यटक क्यों अचानक मुड़ गए पीछे?
कारण बिलकुल साफ हैं: भारी गोलीबारी, बारूदी सुरंगों का डर, ज़िलों का खाली करवाना और सरकारों की ट्रैवल वॉर्निंग्स। जैसे ही खतरे की खबर फैली, होटल बुकिंग्स और टूर पैकेज रद्द होने लगे। कई अंतरराष्ट्रीय दूतावासों ने अपने नागरिकों को थाई-कंबोडियाई सीमा क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
असर सिर्फ सीमा पर नहीं पूरे देश पर पड़ रहा है
थाईलैंड की GDP का लगभग 12% हिस्सा पर्यटन से आता है। ऐसे में सीमावर्ती इलाकों का खाली होना सिर्फ स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता बन गया है। उधर कंबोडिया का तो और भी ज्यादा नुकसान है क्योंकि उनका पर्यटन सिस्टम और सीमाई व्यापार थाईलैंड पर ज्यादा निर्भर है।
इसके अलावा व्यापार बंद, अस्पतालों को नुकसान, 2 लाख से ज्यादा लोगों का विस्थापन और ऐतिहासिक स्थलों का बंद होना भी इस संकट की गंभीरता को बढ़ा रहा है।
निष्कर्ष
ये केवल एक सीमा विवाद नहीं है ये एक पर्यटन आपदा है। होटल खाली, द्वीप सूने, और बड़े शहरों में भी बुकिंग्स उड़नछू। जैसे-जैसे ट्रैवल वॉर्निंग्स और खतरे की खबर फैल रही है, वैसा ही असर थाईलैंड की अर्थव्यवस्था और छवि पर पड़ रहा है। अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे, तो रिकवरी की राह और लंबी हो सकती है।