जब नींद बन जाए मौत की वजह: रायोंग–सूरत थानी बस हादसा और सड़क सुरक्षा के लिए चेतावनी।

जरा सोचिए, आप एक बस में सवार होते हैं, उम्मीद करते हैं कि सफर आरामदायक होगा — लेकिन अचानक सब कुछ बदल जाता है।
4 जून 2025 को ऐसा ही हुआ जब रायोंग से सूरत थानी के डॉन साक जिले जा रही एक टूर बस प्राचुआप खिरी खान में फिसलकर सड़क के बीचोंबीच रेलिंग से टकराकर खाई में गिर गई।
51 वर्षीय ड्राइवर थोसाफोन, जो हुआ हिन में ड्राइविंग की जिम्मेदारी ले चुका था, बाद में उसने कबूल किया कि वह गाड़ी चलाते हुए सो गया था।

हादसे के बाद: मौतें और जख्म

यह हादसा बेहद दर्दनाक था।
दो पुरुष यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।
इनमें से पांच की हालत गंभीर थी और बाकी को भी गंभीर चोटें आईं।
सभी घायलों को प्राचुआप खिरी खान अस्पताल ले जाया गया।
इस बस को रूंग-रुआंग कोच कंपनी चला रही थी, और दुर्घटना के समय इसमें कुल 28 यात्री सवार थे।

थकावट की वजह से हादसों का सिलसिला

यह पहली बार नहीं है जब थके हुए ड्राइवर की वजह से ऐसा हादसा हुआ हो।
पिछले कुछ सालों में थाईलैंड में कई ऐसे हादसे हुए हैं।

तारीख स्थान कारण हताहत
4 जून 2025 प्राचुआप खिरी खान ड्राइवर नींद में था 2 मौतें, 13 घायल
21 अप्रैल 2025 प्राचिन बुरी ड्राइवर ने नियंत्रण खोया 7 मौतें, 30 से ज़्यादा घायल
1 जनवरी 2025 चाया, सूरत थानी अनजान रास्ता, गलत मोड़ 5 मौतें, 30 घायल

इन घटनाओं से यह साफ है कि ड्राइवर की थकावट एक गंभीर और बार-बार होने वाली समस्या बन चुकी है।

मानवीय कीमत: सिर्फ आंकड़े नहीं, असली लोग

हर हादसे के पीछे एक कहानी होती है — परिवार उजड़ जाते हैं, ज़िंदगियाँ बिखर जाती हैं।
जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, उनके लिए यह एक कभी न भरने वाला घाव है।
साथ ही, ऐसे हादसे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और इमरजेंसी सेवाओं पर भी बड़ा बोझ डालते हैं।

समस्या की जड़ तक पहुंचना ज़रूरी है

ऐसे हादसों को रोकने के लिए हमें कुछ ज़रूरी कदम उठाने होंगे:

  • आराम के समय का सख्त पालन: ड्राइवरों को नियमों के अनुसार पर्याप्त आराम देना अनिवार्य होना चाहिए।

  • स्वास्थ्य की नियमित जांच: ड्राइवरों की नियमित मेडिकल जांच से उनकी फिटनेस का पता चल सकता है।

  • जन जागरूकता अभियान: थकावट के खतरों को लेकर पब्लिक और ड्राइवरों में जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी है।

निष्कर्ष: अब और चुप्पी नहीं

रायोंग–सूरत थानी बस हादसा एक चेतावनी है — हमें ड्राइवर थकावट जैसी समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
ट्रांसपोर्ट कंपनियों, सरकार और आम जनता — सभी को मिलकर सख्त नियम, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और जागरूकता लाने के लिए काम करना होगा।
अगर हम अभी कदम नहीं उठाए, तो अगला हादसा भी बस इंतज़ार कर रहा है।

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