ताइवानी गैंग ने ‘भूमि कर’ के नाम पर चलाया फ्रॉड नेटवर्क।

जब आप “भूमि कर घोटाला” सुनते हैं, तो क्या सोचते हैं? शायद फर्जी चिट्ठियाँ, नकली दस्तावेज़, या कोई व्यक्ति जो कर वसूली का नाटक कर रहा हो। लेकिन बैंकॉक और समुत प्राकान में पुलिस ने एक तकनीकी मोड़ वाला घोटाला पकड़ा सिम-बॉक्स डिवाइस का इस्तेमाल, जिससे अंतरराष्ट्रीय कॉल्स को स्थानीय कॉल्स की तरह दिखाया जा रहा था।

क्या हुआ पुलिस छापों में

7 अक्टूबर को पुलिस ने दो ठिकानों पर छापा मारा एक बैंकॉक के राम इनथ्रा इलाके में और दूसरा समुत प्राकान के बंग फ्ली में।
पहले ठिकाने (एक दो-मंज़िला टाउनहाउस) से जब्त की गई चीज़ें थीं:

  • 16-स्लॉट वाला सिम-बॉक्स

  • राउटर, LAN केबल, CCTV उपकरण

  • यूपीएस (पावर बैकअप)

  • और रिकॉर्ड जिसमें 9,000 से अधिक आउटगोइंग कॉल्स दर्ज थीं

दूसरा ठिकाना एक कॉन्डो था जहाँ भी लगभग यही सेटअप मिला। वह कॉन्डो एक ताइवानी नागरिक के नाम पर किराए पर लिया गया था, जबकि टाउनहाउस एक थाई महिला के नाम से किराए पर था जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।

उसे नखोन सवान प्रांत के हॉस्टल से पकड़ा गया। उसने बताया कि उसे लगभग 3,500 बाट दिए गए थे बस घर किराए पर देने के लिए उसे असली काम का अंदाज़ा नहीं था।

सिम-बॉक्स घोटाला कैसे चलता था

अब समझिए ये घोटाला काम कैसे करता था:

  1. शिकार से संपर्क: गैंग पहले किसी व्यक्ति को ये विश्वास दिलाती कि उसे भूमि कर देना है।

  2. फर्जी ऐप: फिर वे उसे एक ऐप इंस्टॉल करवाते ताकि वह “टैक्स भर” सके।

  3. छलावा कॉल्स: ये कॉल्स असल में विदेश से आती थीं, लेकिन सिम-बॉक्स डिवाइस की मदद से स्थानीय नंबर की तरह दिखतीं।

  4. कई ठिकानों पर डिवाइस: ताकि विदेश में बैठे ऑपरेटर्स स्थानीय कॉल्स की तरह शिकारों से बात कर सकें।

इससे पुलिस के लिए कॉल्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता था।

मुख्य आरोपी और जब्त सामान
विवरण खोज
सिम-बॉक्स स्लॉट्स प्रत्येक ठिकाने पर 16 स्लॉट्स
नेटवर्क उपकरण राउटर, LAN केबल
पावर बैकअप यूपीएस यूनिट्स
निगरानी उपकरण CCTV कैमरे
कॉल रिकॉर्डिंग पहले ठिकाने से 9,000+ कॉल्स
संदिग्ध व्यक्ति थाई महिला (अरीसरा), ताइवानी नागरिक

थाई महिला ने कहा कि उसे किसी बात की जानकारी नहीं थी और उसने सिर्फ किराए का अनुबंध किया था। लेकिन पुलिस अब इस नेटवर्क के असली मास्टरमाइंड्स तक पहुँचने की कोशिश में है।

क्यों है ये घोटाला खतरनाक

ये कोई आम ठगी नहीं है। सिम-बॉक्स के ज़रिए:

  • कॉल का स्रोत छिप जाता है: कॉल विदेशी होती है, पर दिखती स्थानीय।

  • कॉल्स की संख्या बढ़ाई जा सकती है: एक बॉक्स से एक साथ कई कॉल्स की जा सकती हैं।

  • पता लगाना मुश्किल: किराए के घरों में लगाए गए ये डिवाइस अपराधियों को गुमनाम बनाए रखते हैं।

ऊपर से “भूमि कर” जैसे सरकारी मुद्दे का डर दिखाकर लोगों को फँसाना और आसान हो जाता है।

निष्कर्ष

जो मामला एक साधारण भूमि कर धोखाधड़ी जैसा लग रहा था, वो दरअसल एक तकनीकी, संगठित और अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड नेटवर्क निकला। सिम-बॉक्स के जरिए कॉल्स को छिपाया गया और किराए के मकानों से ये नेटवर्क चलाया गया। हालाँकि कुछ गिरफ्तारियाँ हुई हैं, लेकिन असली सरगना अभी पकड़ से बाहर हैं। सवाल बस यही है क्या पुलिस उन तक पहुँचेगी?

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