थाई युवा बना रहे हैं हरे भविष्य के अगुवा।

सस्टेनेबिलिटी (सतत विकास) कई बार केवल एक चर्चित शब्द लग सकता है, लेकिन थाईलैंड में युवा इनोवेटर्स साबित कर रहे हैं कि यह सिर्फ बातें नहीं हैं। प्रोजेक्ट वंडर लैब: यूथ फॉर अ ग्रीनर टुमारो के ज़रिए देशभर के छात्र दिखा रहे हैं कि छोटे-छोटे, समझदारी भरे विचार भी बड़ा पर्यावरणीय असर डाल सकते हैं।

प्रोजेक्ट वंडर लैब क्या है?

यूओबी थाईलैंड द्वारा समर्थित यह पहल छात्रों को इको-फ्रेंडली समाधानों को प्रस्तुत करने का मंच देती है। 100 से अधिक टीमों ने इस चुनौती में हिस्सा लिया, लेकिन केवल 10 टीमें फाइनल तक पहुंचीं। इनके प्रोजेक्ट्स फूड वेस्ट को कम करने से लेकर प्लास्टिक के नए विकल्प तक फैले हुए थे। यह साबित करता है कि नवाचार सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है यह कक्षा से भी शुरू हो सकता है।

युवाओं के रचनात्मक समाधान

इन टीमों ने सिर्फ आइडिया ही नहीं दिए, बल्कि उन्हें हकीकत में बदला। सोचिए, अगर किसी स्कूल का फूड वेस्ट एक महीने में 70% तक कम हो जाए या फिर अनानास के पत्तों से बायोडिग्रेडेबल कैट लिटर बनाया जाए? यही इन छात्रों ने करके दिखाया। उनकी क्रिएटिविटी हमें याद दिलाती है कि सस्टेनेबिलिटी का मतलब है जो हमारे पास है उसे नए तरीके से सोचना।

फाइनलिस्ट प्रोजेक्ट्स के उदाहरण
टीम का नाम प्रोजेक्ट की खासियत
चान कोएट चक को फाई फूड वेस्ट ट्रैक करने वाला ऐप, जिसने स्कूल वेस्ट 70% तक घटाया।
जंगल नेचुरल टीम अनानास के पत्तों से बायोडिग्रेडेबल कैट लिटर तैयार किया।
नखोन सवान रक सिंग प्लास्टिक वेस्ट से कपड़ा और सांस्कृतिक बैग तैयार किए।
ग्रीनसाइकिल क्रू प्लास्टिक के टुकड़ों से 3D प्रिंटिंग फिलामेंट बनाया।
ट्रैशफॉर्मर्स पुराने ई-वेस्ट से एयर प्यूरीफायर बनाकर वायु प्रदूषण का हल निकाला।
यह क्यों ज़रूरी है

प्रोजेक्ट वंडर लैब की सबसे बड़ी खूबी है इसका प्रभाव। ये सिर्फ छात्र प्रोजेक्ट नहीं हैं ये ऐसे समाधान हैं जो पूरे समुदाय को प्रभावित कर सकते हैं। पारंपरिक तरीकों और आधुनिक टेक्नोलॉजी को जोड़कर, ये युवा थाईलैंड के पर्यावरणीय भविष्य की नई कहानी लिख रहे हैं।

युवा-चालित हरित क्रांति

सोचिए, अगर छात्र कृषि वेस्ट को उपयोगी उत्पादों में बदल सकते हैं या माइक्रोप्लास्टिक पर पढ़ाने के लिए गेम डिजाइन कर सकते हैं, तो अधिक संसाधन मिलने पर वे क्या कर पाएंगे? उनके आइडिया दिखाते हैं कि जलवायु संकट का हल सिर्फ राजनीति या बड़े बजट से नहीं, बल्कि नए नजरिए और प्रयोग करने की हिम्मत से आता है।

निष्कर्ष

थाईलैंड के युवा साबित कर रहे हैं कि हरित भविष्य की राह बड़ी कंपनियों या सरकारी योजनाओं से ही शुरू नहीं होती। कभी-कभी यह छात्रों के समूह, कुछ विचारों और बदलाव लाने की जिद से भी शुरू होती है। प्रोजेक्ट वंडर लैब जैसी पहल के जरिए सस्टेनेबिलिटी के बीज बो दिए गए हैं अब अगली पीढ़ी उन्हें हरा-भरा बनाने को तैयार है।

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