फुकेत ने तटीय कटाव से निपटने के लिए एक नई और स्मार्ट इको-फ्रेंडली पहल की है। सिरिनत नेशनल पार्क में साई कैव बीच पर लकड़ी से बना ज़िगज़ैग पैटर्न वाला सैंड‑फेंस (बालू अवरोधक) लगाया गया है। ये कोई कंक्रीट की दीवार नहीं है, बल्कि एक ऐसा तरीका है जो प्रकृति के साथ मिलकर काम करता है, ना कि उसके खिलाफ।
सैंड‑फेंस कैसे काम करता है: बालू को रोकना और प्राकृतिक पुनर्निर्माण
सैंड‑फेंस को ऐसे समझिए जैसे समुद्र की लहरों के सामने एक बड़ी कंघी रख दी गई हो। जैसे ही लहरें बालू लेकर आती हैं, फेंस उसे रोक लेता है और बालू धीरे-धीरे इकट्ठा होकर बीच को फिर से बनाता है। इस फेंस के पीछे समुद्री बेल, पांडनस, बादाम और जल कुमुद जैसी स्थानीय वनस्पतियाँ लगाई जा रही हैं, जो अपने मजबूत जड़ों से किनारे को स्थिर करती हैं।
अब तक क्या हुआ और आगे क्या है योजना
परियोजना चरण | अब तक किए गए कार्य | परिणाम और अगला कदम |
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चरण 1 | लगभग 500 मीटर ज़िगज़ैग फेंस लगाया गया, वनस्पति रोपण | बीच की चौड़ाई में 30–50 मीटर की बहाली; अगस्त 2025 तक पूरा होने की उम्मीद |
चरण 2 | अतिरिक्त 1,150 मीटर फेंस की योजना और और अधिक पौधारोपण | लगभग 5.85 मिलियन भाट की फंडिंग का इंतज़ार; 2025 वित्तीय वर्ष में कार्य |
साई कैव बीच पर तटीय कटाव ने समुद्र तट को क्षैतिज रूप से 7.35 मीटर और ऊर्ध्वाधर रूप से 2.42 मीटर तक कम कर दिया है। अगर समय रहते इसे रोका न गया, तो 3–4 साल में मुख्य सड़क भी खतरे में आ सकती है।
ये क्यों ज़रूरी है – पर्यावरण, समुदाय और पर्यटन
इस परियोजना के कई फायदे हैं:
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पर्यावरण के लिए: पूरी तरह इको-फ्रेंडली तरीका है ना कंक्रीट, ना मशीनरी। यह कछुओं के घोंसले और समुद्री जीवन को भी बचाता है।
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स्थानीय लोगों के लिए: सड़कें, घर और व्यवसाय सुरक्षित रहते हैं, जिससे जीवन यापन भी सुरक्षित होता है।
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पर्यटन के लिए: सुंदर और चौड़ा समुद्र तट पर्यटकों को आकर्षित करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है।
क्यों सैंड‑फेंस, कंक्रीट सीवॉल से बेहतर है
पहले समुद्री दीवारों (सीवॉल) को तट की रक्षा के लिए बेहतर माना जाता था। लेकिन अब अनुभव ने सिखा दिया है कि ये दीवारें समुद्र तट को और नुकसान पहुंचा सकती हैं, दृश्य सौंदर्य बिगाड़ती हैं और समुद्री जीवन पर भी असर डालती हैं। वहीं, सैंड‑फेंस एक प्राकृतिक तरीका है जो बिना दिखावे या नुकसान के समस्या का हल करता है।
पहले चरण की सफलता और आगे की योजना
अधिकारियों के मुताबिक, पहले चरण में ही 30–50 मीटर समुद्र तट वापस मिल चुका है। इससे प्रेरित होकर दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है, जिसमें और फेंस लगाए जाएंगे और अधिक पौधारोपण होगा। इसके लिए 2025 का बजट पास भी हो चुका है।
यह परियोजना फुकेत में प्रकृति आधारित समाधानों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
निष्कर्ष
फुकेत का सैंड‑फेंस प्रोजेक्ट एक समझदारी भरा और टिकाऊ तरीका है तटीय कटाव से लड़ने का। लकड़ी के ज़िगज़ैग फेंस और स्थानीय पौधों के संयोजन से यह समुद्र तट को बहाल कर रहा है, सौंदर्य को बनाए रख रहा है, और स्थानीय समुदायों को लाभ पहुँचा रहा है। पहले चरण की सफलता के बाद यह मॉडल भविष्य में थाईलैंड के अन्य समुद्र तटों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।