बैंकॉक डूबता शहर: क्या थाईलैंड की राजधानी 2030 तक पानी में समा जाएगी?

ज़रा सोचिए: बैंकॉक का आधा हिस्सा पानी में डूबा हुआ, सड़कें नहरों में बदल चुकी हैं, और कभी चहल-पहल वाली गलियाँ अब जलमार्ग बन गई हैं। ये कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक संभावित भविष्य है। ज़मीन धँसने और समुद्र-स्तर बढ़ने की दोहरी मार से बैंकॉक 2030 तक गंभीर रूप से पानी में डूब सकता है।

बैंकॉक बाकी शहरों से ज़्यादा क्यों तेज़ी से डूब रहा है?

बैंकॉक समुद्र की पुरानी मिट्टी (marine clay) पर बसा है—जो खेती के लिए तो ठीक है, पर ऊँची इमारतों के लिए नहीं। जब इस मिट्टी पर भारी-भरकम इमारतें बनती हैं, तो मिट्टी दबती है और ज़मीन धीरे-धीरे नीचे धँसने लगती है।

ज़मीन के नीचे से पानी निकालना बढ़ा रहा है संकट

घर और फैक्ट्रियाँ पीने और इस्तेमाल के लिए ज़मीन के नीचे से पानी खींचते हैं। इससे ज़मीन और ज़्यादा धँसती है—कुछ इलाकों में हर साल 2–3 से.मी. तक! वहीं दूसरी तरफ समुद्र का स्तर हर साल लगभग 3–5 मिमी बढ़ रहा है। दोनों मिलकर शहर को डूबो रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन बिगाड़ रहा है हालात

ग्लोबल वार्मिंग के चलते समुद्र का स्तर लगातार बढ़ रहा है। कुछ अनुमान बताते हैं कि 2100 तक समुद्र लगभग 2 मीटर तक बढ़ सकता है। भले अभी ये दर धीमी हो, लेकिन बैंकॉक जैसे शहर के लिए 0.5 मीटर की बढ़ोत्तरी भी काफी है।

भारी बारिश और तूफ़ानी लहरें बढ़ा रहीं हैं दिक्कतें

बैंकॉक में वैसे भी मानसून के दौरान जलभराव आम बात है। अब जलवायु परिवर्तन के चलते तूफ़ान और भारी बारिश की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे शहर की drainage प्रणाली जवाब दे रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी
  • World Bank का अनुमान है कि 2030 तक बैंकॉक का 40% हिस्सा जलमग्न हो सकता है

  • The Guardian ने बताया कि बैंकॉक हर साल 1 से.मी. की दर से नीचे जा रहा है।

  • Climate Central (2019) ने बैंकॉक को उन शहरों में रखा जो सबसे जल्दी डूब सकते हैं।

शहर को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?

चुलालोंगकोर्न यूनिवर्सिटी का ‘Centenary Park’ एक बेहतरीन उदाहरण है—यह हर साल 1 मिलियन गैलन बारिश का पानी सोख सकता है। ऐसे ग्रीन स्पेस शहर को बचाने में मदद कर सकते हैं।

जल प्रबंधन में सुधार

अब धीरे-धीरे ज़मीन से पानी निकालने पर रोक लग रही है, और नहरों की सफाई पर ज़ोर दिया जा रहा है। नई drainage प्रणालियाँ और बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएँ भी बन रही हैं।

एक नज़र में – कारण और समाधान
समस्या प्रभाव समाधान
ज़मीन का धँसना (2–3 से.मी./वर्ष) इमारतों के नीचे ज़मीन बैठ रही है ज़मीन के पानी का इस्तेमाल घटाना
समुद्र का बढ़ता स्तर (3–5 मिमी/वर्ष) तटीय इलाकों में पानी भरना बाढ़ नियंत्रण दीवारें, तटीय सुरक्षा
भारी बारिश जलभराव जल संग्रह पार्क, हरियाली
नरम मिट्टी पर निर्माण ज़मीन पर दबाव बढ़ता है सख्त बिल्डिंग कोड, मिट्टी की टेस्टिंग अनिवार्य
खराब ड्रेनेज व नालियाँ पानी की निकासी में दिक्कत नालियों की सफाई, drainage system में सुधार
समय निकलता जा रहा है—2030 खतरे की सीमा रेखा है

इन सभी वजहों को जोड़ दीजिए—नीचे धँसती ज़मीन, ऊपर उठता समुद्र, और बेतरतीब बारिश—और तस्वीर साफ़ हो जाती है। अगर अभी भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो शहर का एक बड़ा हिस्सा 2030 तक जलमग्न हो सकता है।

बैंकॉक के नागरिक अभी क्या कर सकते हैं?
  • ज़मीन के नीचे से पानी निकालना बंद करें: जितना हो सके, municipal water का इस्तेमाल करें।

  • हरियाली बढ़ाएँ: घर के पास छोटे पार्क, वर्षा वाटिका (rain garden) जैसे उपाय अपनाएँ।

  • नालियाँ साफ़ रखें: गंदगी न फेंकें, मोहल्ले स्तर पर पहल करें।

  • बाढ़ से सतर्क रहें: बाढ़ ऐप्स का इस्तेमाल करें, प्लान बना कर रखें।

  • प्रशासन पर दबाव डालें: जलवायु और शहरी विकास पर सख्त कानून की माँग करें।

निष्कर्ष

बैंकॉक, एक खूबसूरत लेकिन नाज़ुक शहर, आज एक गंभीर संकट के मुहाने पर है। अगर हमने अब भी सही कदम नहीं उठाए, तो 2030 तक इसका एक बड़ा हिस्सा पानी में समा सकता है। मगर उम्मीद अभी ज़िंदा है—सिर्फ हरी जगहें और नई टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि हर नागरिक की समझदारी और सहयोग से। अब ज़रूरत है ठोस कदमों की—न कि बस प्रतीकात्मक हरियाली की।

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