सोशल मीडिया की अंधेरी दुनिया का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बैंकॉक में 20 वर्षीय एक युवक को युवाओं को तस्करी के जाल में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आरोपी की पहचान अब्दुल वारिस के रूप में हुई है, जिसे 12 मई 2025 को दीन दाएंग इलाके से गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी फीचिट प्रांत की अदालत द्वारा जारी किए गए वारंट के तहत की गई।
सोशल मीडिया के जरिए झूठे जॉब ऑफर का जाल
अब्दुल वारिस और उसके चार साथियों ने मिलकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर फेसबुक, का इस्तेमाल करते हुए लुभावने नौकरी के ऑफर देकर युवाओं को अपने जाल में फंसाया।
ये लोग HR जैसी आकर्षक नौकरियों का झूठा वादा करते थे, जिनमें अच्छी तनख्वाह और विदेश में काम करने के मौके बताए जाते थे।
एक खास मामले में, एक 17 वर्षीय लड़का और उसकी गर्लफ्रेंड इस झूठे ऑफर के चक्कर में साकेओ प्रांत तक चले गए ताकि वे सीमा पार कर उस फर्जी नौकरी को जॉइन कर सकें।
लेकिन असल में उन्हें एक फ्रॉड कॉल सेंटर गैंग में शामिल किया जाना था—जो तरह-तरह के अवैध कामों का अड्डा था।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
यह गिरफ्तारी पुलिस की कई महीनों की जांच का नतीजा थी। इसमें शामिल थे—पुलिस कर्नल नेटीविट थानासितनितिकुल, पुलिस लेफ्टिनेंट कर्नल नारित फुकजित, और पुलिस कप्तान वरात सर्मसुजरित।
इन अधिकारियों ने मिलकर यह खुलासा किया कि ये लोग सोशल मीडिया और “शब्दों के जरिए प्रचार” (word of mouth) से युवाओं को फांसते थे।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी ऑनलाइन नौकरी के ऑफर को जांचे-परखे बिना भरोसा न करें, और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।
सच और झूठे जॉब ऑफर में फर्क—एक तुलना तालिका
यहां एक तालिका दी जा रही है जो यह समझने में मदद करेगी कि कौन-सी नौकरी असली है और कौन-सी फर्जी:
पैरामीटर | असली नौकरी का ऑफर | फर्जी नौकरी का ऑफर |
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सोर्स (Source) | कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट या भरोसेमंद जॉब पोर्टल | अनजान सोशल मीडिया अकाउंट या निजी मैसेज |
जॉब डिटेल्स | साफ-सुथरा जॉब डिस्क्रिप्शन और जिम्मेदारियां | बहुत ही आकर्षक और असामान्य वादे, लेकिन डिटेल्स कम |
अप्लाई करने की प्रक्रिया | इंटरव्यू, रिज्यूमे, और सही चैनल से आवेदन | बिना इंटरव्यू के सीधे ऑफर |
फीस या पेमेंट | कोई एडवांस फीस नहीं ली जाती | पहले से पैसे या पर्सनल जानकारी की मांग |
वेरिफिकेशन | कंपनी का पता और रजिस्ट्रेशन नंबर उपलब्ध होता है | कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिलती |
निष्कर्ष
अब्दुल वारिस की गिरफ्तारी ये दिखाती है कि ऑनलाइन वादों के पीछे छुपे खतरे कितने गंभीर हो सकते हैं।
ज्यादा पैसा कमाने की चाह में कई युवा इन फर्जी ऑफर्स के जाल में फंस जाते हैं, और उनके साथ शोषण होता है।
आज के डिजिटल दौर में हर एक को सतर्क रहने की जरूरत है। हर ऑफर पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। थोड़ी सी जांच-पड़ताल आपको एक बड़े धोखे से बचा सकती है।
अगर आप या आपके जानने वाले किसी संदेहास्पद जॉब ऑफर का सामना करें—तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।