थाईलैंड की संघ परिषद ने एक बार फिर साफ कर दिया है: साधु लॉटरी का भविष्यवक्ता नहीं बन सकते। यह चेतावनी इसलिए दी गई क्योंकि हाल के दिनों में कई साधुओं द्वारा अंधविश्वासी गतिविधियों में शामिल होने, जैसे कि जीतने वाले नंबर बताने की घटनाएँ सामने आईं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे कार्य धार्मिक अनुशासन तोड़ते हैं, भरोसा घटाते हैं और लोगों को मेहनत करने के बजाय जुआ खेलने के लिए गुमराह करते हैं।
पुराने समय से चली आ रही परंपरा
यह कोई नया नियम नहीं है। संघ परिषद ने साधुओं को लॉटरी का अनुमान लगाने से रोकने का आदेश पहली बार 1955 में जारी किया था। लेकिन इसकी जड़ें इससे भी गहरी हैं। 1860 में, राजा राम चतुर्थ (King Rama IV) ने शाही आदेश जारी किया था जिसमें साधुओं को लॉटरी, शराब पीने, नाइटलाइफ़ में जाने और आम लोगों का भेष बदलकर जुआ खेलने से मना किया गया था। इसका मकसद साफ था बौद्ध धर्म की पवित्रता की रक्षा करना और साधुओं की आध्यात्मिक भूमिका को बनाए रखना।
साधुओं द्वारा भविष्यवाणी करना क्यों गलत है
कई लोग पूछ सकते हैं, साधु अगर नंबर बता भी दें तो क्या फर्क पड़ता है? संघ परिषद का कहना है कि इससे अंधविश्वास बढ़ता है और लोग अपनी असली जिम्मेदारियों से भटक जाते हैं। मेहनत करने या सही निर्णय लेने की बजाय लोग “भाग्यशाली” नंबरों के पीछे भागने लगते हैं, जिससे जुए की लत पनपती है। साधुओं के लिए यह उनकी छवि और विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाता है, और उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शक की जगह रहस्यमयी भविष्यवक्ता जैसा दिखाता है।
प्रतिबंधित आचरण के उदाहरण
इसे और अच्छे से समझने के लिए नीचे तालिका देखिए:
प्रतिबंधित आचरण | प्रतिबंध का कारण |
---|---|
लॉटरी नंबर बताना | जुआ और अंधविश्वास को बढ़ावा देता है |
शराब पीना | बौद्ध धर्म के मूल नियमों का उल्लंघन |
नाइटलाइफ़ स्थानों पर जाना | अनुचित माना जाता है और छवि को नुकसान पहुँचाता है |
आम लोगों का भेष बनाकर जुआ खेलना | भ्रामक व्यवहार, जो साधुओं की गरिमा को कमजोर करता है |
बड़ी तस्वीर
भले ही यह नियम सदियों से लागू है, लेकिन यह मुद्दा बार-बार सामने आता है। कुछ साधु अब भी अपने अनुयायियों को “भाग्यशाली नंबर” या अलौकिक आशीर्वाद देने का लालच देकर आकर्षित करते हैं। संघ परिषद लगातार चेतावनी देती रही है कि इससे बौद्ध धर्म की छवि को नुकसान होता है और आम लोग जुए की आदत में और गहराई तक फँस जाते हैं।
निष्कर्ष
संघ परिषद की यह नवीनतम चेतावनी केवल लॉटरी की भविष्यवाणी पर रोक लगाने की बात नहीं है यह बौद्ध धर्म की पवित्रता बनाए रखने की दिशा में कदम है। साधुओं को अंधविश्वास और जुए से दूर रखकर परिषद चाहती है कि वे अपने असली काम पर ध्यान दें: लोगों को ज्ञान, सचेतनता और करुणा की राह दिखाना।