लोपबुरी में असफल सशस्त्र डकैती के बाद सेवानिवृत्त अधिकारी गिरफ्तार।

जब ज़िंदगी किसी को किनारे पर ला खड़ा करती है, तो सबसे अनुशासित इंसान भी टूट सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ 10 जुलाई 2025 को लोपबुरी में। एक 66 वर्षीय सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान होकर, एक कंविनियंस स्टोर को लूटने की कोशिश करता है — लेकिन नाकाम रहता है।

वारदात का घटनाक्रम

करीब रात 12:05 बजे, स्थानीय लोगों ने देखा कि एक आदमी बंदूक लेकर पेट्रोल पंप के कंविनियंस स्टोर में घुसा। उसने लाइट बंद करने को कहा और कैश रजिस्टर खोलने की कोशिश की—लेकिन स्टाफ पीछे के दरवाज़े से भाग गया और रजिस्टर तक पहुंच न सका।

नीचे वारदात का सारांश:

समय क्या हुआ
रात 12:05 बंदूकधारी ने स्टोर में एंट्री ली।
कुछ देर बाद कर्मचारी भाग निकले, रजिस्टर नहीं खुला।
तुरंत बाद वो बाहर भागा और ग्रे Nissan वैन से फरार हुआ।
थोड़ी देर में पुलिस ने वैन को Naresuan रोड पर पकड़ लिया।
गिरफ्तारी और खुलासे

पुलिस अधिकारी लेफ्टिनेंट सोमनुक किडटूक की टीम ने इलाके को घेर लिया और आरोपी को नरेसुआन रोड के जंक्शन पर रोक लिया। वैन में उसकी पत्नी भी मौजूद थी, जो पास में फूड स्टॉल चलाती है।

वाहन की तलाशी लेने पर एक लोडेड .32 कैलिबर रिवॉल्वर बरामद हुई, जिसमें छह गोलियां थीं। आरोपी को हिरासत में लेकर थाने ले जाया गया।

आरोपी का बैकग्राउंड और मकसद

आरोपी कोमसोंथी, एक 66 वर्षीय सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं। वह मानसिक तनाव और आंत की समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी पत्नी ने बताया कि पेट्रोल पंप पर वॉशरूम जाने तक वह सामान्य थे।

पूछताछ में कोमसोंथी ने केवल इतना कहा: “मुझे पैसों की ज़रूरत थी।” वह थका हुआ और भावहीन लग रहा था।

पुलिस ने उसके खिलाफ गैरकानूनी हथियार ले जाने का मामला दर्ज कर लिया है। असफल सशस्त्र डकैती की धाराएं लगाई जा रही हैं और सीसीटीवी फुटेज व गवाहों के बयान लिए जा रहे हैं।

मामले की समापन स्थिति

यह घटना लोपबुरी की शांत रात को हिला गई। कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन मानसिक असर ज़रूर हुआ। इस विफल डकैती के पीछे एक कड़वा सच छिपा है—कभी सुरक्षा देने वाला शख्स भी हालात के आगे झुक सकता है।

निष्कर्ष

एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने जब ज़िंदगी की जंग हारी, तो उसे कानून तोड़ने का रास्ता आसान लगा। लेकिन लोपबुरी की मुस्तैद पुलिस और सतर्क नागरिकों ने उसे नाकाम कर दिया। यह घटना हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी इंसान हालात से इतना टूट जाता है कि सही-गलत की रेखा धुंधली हो जाती है।

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