क्या आप कभी सोच सकते हैं कि कोई इंसान 700 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चले? वो भी बिना किसी लग्ज़री या सुविधा के? लेकिन राचाबुरी के 46 वर्षीय पिया ने ऐसा ही किया। उनका मकसद साफ था – गांजा (भांग) की लत को हमेशा के लिए छोड़ना।
उनके पास सिर्फ एक अतिरिक्त कपड़ों का सेट था। न कोई खास जूते, न कोई होटल। वो रास्ते में खाली कैन इकट्ठा करके बेचते थे और उसी पैसे से खाना खाते थे। रात को जहाँ जगह मिली – मंदिर, सड़क किनारे झोपड़ी या पुलिस चौकी – वहीं सो जाते थे।
इतनी लंबी दूरी क्यों?
एक नई शुरुआत का प्रतीक
पिया केवल चल नहीं रहे थे, वो खुद को बदलने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने पहले ही शराब, याबा और अन्य नशे छोड़ दिए थे, लेकिन गांजा सबसे मुश्किल साबित हुआ। इसलिए उन्होंने खुद को साबित करने के लिए ये असाधारण यात्रा चुनी।
परिवार बना ताक़त
हर कदम उनके लिए उनकी 74 साल की मां और बहन की आवाज़ बन गया। वे उन्हें रोज़ कॉल करती थीं और यही भावनात्मक सहारा उन्हें आगे बढ़ाता गया।
हर रोज़ की जंग और मदद की चिंगारी
जीवन की लड़ाई सड़क पर
कल्पना कीजिए – blister पड़े पैरों के साथ, दिनभर धूप में चलना, भूख-प्यास और अकेलापन। ये कोई ट्रेकिंग ट्रिप नहीं थी, ये आत्म-उद्धार की यात्रा थी।
सरकारी और स्थानीय मदद
9 जून को, जब पिया सुखोथाई पहुंचे थे और करीब 400 किमी चल चुके थे, तो उन्हें नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड, स्वास्थ्य कर्मचारियों और स्थानीय अधिकारियों ने देखा। उन्होंने उन्हें दवाई, खाना, पीने का पानी और एक नया मोबाइल दिया ताकि वो अपनी मां से संपर्क बनाए रख सकें।
तानों को बनाया ताक़त
रास्ते में कई लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया—”गांजा छोड़ने के लिए इतना चलना?” लेकिन पिया ने इन सवालों को अपनी ताक़त बना लिया। हर ताना उनके हौसले को और मज़बूत करता गया।
उनका सपना अब सिर्फ गांजा छोड़ने तक सीमित नहीं रहा। अब वो चियांग माई में एक नई ज़िंदगी शुरू करना चाहते हैं – नौकरी, घर और सुकून के साथ।
अब तक की यात्रा – एक नज़र में तालिका
मील का पत्थर | विवरण |
---|---|
शुरुआत | राचाबुरी, मध्य थाईलैंड |
लक्ष्य | चियांग माई, उत्तरी थाईलैंड |
कुल दूरी | ~700 किमी (कुछ रिपोर्ट में 800 किमी भी बताया गया है) |
बीते दिन | लगभग 20 दिन |
अब तक तय दूरी | ~400+ किमी (9 जून तक) |
सपोर्ट सिस्टम | रोज़ परिवार की कॉल, ONCB, स्वास्थ्यकर्मी, स्थानीय सहायता |
खर्च कैसे चलाया | खाली कैन बेचकर |
रात में ठहराव | मंदिर, सड़क किनारे, पुलिस चौकी |
अंतिम लक्ष्य | गांजा छोड़ना, नई नौकरी, नया जीवन |
क्यों ज़रूरी है ये कहानी सुनना
गांजा की लत को समझने का नया नज़रिया
अक्सर लोग गांजा की लत को मज़ाक समझते हैं। लेकिन पिया की कहानी बताती है कि ये भी एक गंभीर लत हो सकती है, जिससे बाहर निकलना आसान नहीं होता।
चलना = थेरेपी
ये सिर्फ पैरों की कसरत नहीं थी, ये दिमाग की सफाई थी। हर कदम आत्मचिंतन था। हर मील एक नई सोच।
सिस्टम की खामियां
अगर किसी को मदद पाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर चलना पड़े, तो सवाल उठता है—क्या हमारी व्यवस्था वाकई तैयार है? ये कहानी उस सुधार की पुकार है।
आगे क्या?
चियांग माई – एक नई शुरुआत
जब पिया चियांग माई पहुंचेंगे, तब असली चुनौती शुरू होगी—नौकरी ढूंढना, नशे से दूर रहना, और ज़िंदगी को दोबारा पटरी पर लाना।
सपोर्ट बना रहे, यही ज़रूरी है
यात्रा के बाद भी उन्हें लगातार सहयोग चाहिए—सरकार से, समाज से, और परिवार से। तभी ये बदलाव टिकेगा।
इस यात्रा से क्या सीखें?
-
जज्बा सब कुछ बदल सकता है – पिया ने खुद को नई दिशा दी।
-
भावनात्मक सपोर्ट अहम है – मां और बहन की कॉल्स ने उन्हें गिरने नहीं दिया।
-
सहायता ज़रूरी है – ONCB जैसी एजेंसियों की छोटी मदद भी बड़ा असर डालती है।
-
हर कदम बदलाव की ओर था – ये पैदल यात्रा सिर्फ दूरी नहीं, जीवन की दिशा बदलने वाली थी।
निष्कर्ष
पिया की ये 700 किलोमीटर की यात्रा हमें एक सच्चाई बताती है – बदलाव आसान नहीं होता, लेकिन नामुमकिन भी नहीं। चाहे कोई शहर बदले, आदतें बदले या सोच—हर बड़ा कदम एक नई कहानी शुरू करता है।
ये सिर्फ थाईलैंड की खबर नहीं है। ये उन सभी की कहानी है जो अपने अंदर की लड़ाई लड़ रहे हैं। चाहे नशा हो, तनाव हो, या कोई आदत—अगर पिया चल सकता है, तो हम सब भी कदम उठा सकते हैं।