यूक्रेन ने थाईलैंड से युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए विशेष दूत नियुक्त करने का आग्रह किया।

यूक्रेन ने आधिकारिक तौर पर थाईलैंड से एक विशेष दूत नियुक्त करने का अनुरोध किया है जो युद्धोत्तर पुनर्निर्माण, व्यापार समन्वय और मानवीय सहयोग पर काम करेगा।
यह अनुरोध तीन यूक्रेनी सांसदों वादिम हालाइचुक, तमिला ताशेवा और लेसिया वासिलेंको की बैंकॉक यात्रा के दौरान आया, जहां उन्होंने थाई सांसदों, राजनयिकों और शिक्षाविदों से मुलाकात की और गहरे सहयोग के रास्तों पर चर्चा की।

इस अनुरोध के पीछे की वजह
  • यूक्रेनी सांसदों का दौरा यूक्रेन की युद्ध के बाद की जरूरतों जैसे स्वतंत्रता, संप्रभुता और बुनियादी ढांचे की बहाली पर जागरूकता बढ़ाने के लिए था।

  • यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी संप्रभुता के समर्थन में थाईलैंड के मतदान और दवाइयों व जनरेटर जैसी मानवीय सहायता के लिए उसकी सराहना की।

  • हालांकि, यूक्रेन का मानना है कि अब समय है व्यापार, पुनर्निर्माण और मानवीय सहयोग को व्यवस्थित करने के लिए एक विशेष ढांचे की स्थापना का।

विशेष दूत क्या करेगा

नीचे तालिका में दूत की संभावित जिम्मेदारियां और उनके उद्देश्य दिए गए हैं:

मुख्य क्षेत्र महत्व क्यों है
निर्माण सामग्री (जैसे कांच) की आपूर्ति यूक्रेन में हजारों इमारतें क्षतिग्रस्त हैं। कांच की भारी मांग है, और थाईलैंड इस क्षेत्र में मजबूत है।
मॉड्यूलर आवास निर्माण त्वरित पुनर्निर्माण के लिए तैयार घरों या मॉड्यूलर इकाइयों की जरूरत होती है ताकि बेघर लोगों को तुरंत आश्रय मिल सके।
व्यापार और आर्थिक सहयोग केवल भवन नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में मदद। इससे दोनों देशों को लाभ होगा।
मानवीय सहयोग और बच्चों की वापसी युद्ध के मानवीय पहलू खासकर विस्थापित या अपहृत बच्चों की वापसी भी पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
थाईलैंड की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता
  • थाई विदेश मंत्रालय और यूरोपीय मामलों के विभाग के अधिकारियों ने इस विचार में गहरी रुचि दिखाई है।

  • अब निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि थाईलैंड किसे इस भूमिका के लिए नियुक्त करता है।

  • यूक्रेन केवल थाईलैंड तक सीमित नहीं है वह आसियान (ASEAN) देशों के साथ भी साझेदारी मजबूत करना चाहता है और अगले वर्ष “सेक्टोरल पार्टनरशिप स्टेटस” हासिल करने की योजना बना रहा है।

निष्कर्ष

यूक्रेन का थाईलैंड से विशेष दूत नियुक्त करने का आग्रह केवल कूटनीतिक सद्भावना नहीं, बल्कि व्यावहारिक सहयोग की दिशा में एक ठोस कदम है।
युद्ध ने देश को भौतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से तोड़ दिया है, और अब यूक्रेन अपने साझेदारों से सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदारी चाहता है  व्यापार, निर्माण सामग्री, मानवीय कार्य और सांस्कृतिक सहयोग के माध्यम से।
अगर थाईलैंड यह कदम उठाता है, तो यह दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ साबित हो सकता है और यह दिखाएगा कि पुनर्निर्माण सिर्फ ईंट-पत्थर का नहीं, बल्कि आशा और मानवीय जुड़ाव का काम है।

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