हरित धोखाधड़ी का पर्दाफाश: नकली इको-फ्रेंडली ब्रांड्स से सावधान ।

ग्रीनवॉशिंग तब होती है जब कंपनियाँ पर्यावरण के प्रति जागरूक दिखने का नाटक करती हैं ताकि वे ईको-फ्रेंडली ग्राहकों को आकर्षित कर सकें, जबकि असल में वे अपने पुराने प्रदूषणकारी तौर-तरीकों को ही जारी रखती हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे किसी जहरीले उत्पाद पर “हरित” (ग्रीन) का टैग चिपका देना, लेकिन असल में कुछ नहीं बदलता।

ग्रीनवॉशिंग एक समस्या क्यों है?

फैशन इंडस्ट्री पर्यावरणीय संकटों की एक बड़ी वजह है — यह वैश्विक उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा पैदा करती है। जब ब्रांड्स ग्रीनवॉशिंग करते हैं, तो वे असली, ईमानदार पर्यावरणीय प्रयासों से ध्यान भटका देते हैं। इससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी नहीं मिलती और वे अनजाने में उन ब्रांड्स को सपोर्ट करते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे होते हैं।

ग्रीनवॉशिंग को कैसे पहचानें?
  • धुंधले दावे: अगर कोई ब्रांड “इको-फ्रेंडली” या “सस्टेनेबल” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं देता, तो सतर्क हो जाएँ।

  • पारदर्शिता की कमी: अगर कंपनी अपने उत्पादों में इस्तेमाल की गई सामग्री या उत्पादन प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं देती, तो यह एक चेतावनी संकेत है।

  • कोई सर्टिफिकेशन नहीं: असली ईको-फ्रेंडली उत्पादों के पास GOTS या फेयर ट्रेड जैसे प्रमाणपत्र होते हैं।

  • सिर्फ पैकेजिंग पर ज़ोर: सिर्फ रीसायक्लेबल पैकेजिंग को हाईलाइट करना, जबकि उत्पाद का बाकी पर्यावरणीय असर नजरअंदाज़ करना, ग्रीनवॉशिंग है।

ग्रीनवॉशिंग के चेतावनी संकेत
चेतावनी संकेत विवरण
धुंधली शब्दावली अस्पष्ट दावे जिनका कोई प्रमाण नहीं होता
पारदर्शिता की कमी पर्यावरणीय प्रक्रिया की जानकारी ना देना
तीसरे पक्ष का कोई सर्टिफिकेशन नहीं मान्य पर्यावरणीय प्रमाणपत्रों की अनुपस्थिति
सिर्फ पैकेजिंग पर ध्यान देना पैकेजिंग को उभारना लेकिन उत्पाद के असली असर को छिपाना
निष्कर्ष

ग्रीनवॉशिंग उन ब्रांड्स की असली नीयत छिपाने का एक तरीका है जो सिर्फ दिखावा करते हैं। उपभोक्ताओं को सतर्क रहना होगा, और उन कंपनियों को सपोर्ट करना चाहिए जो पारदर्शिता और असली हरित पहल के साथ आगे बढ़ रही हैं। अगर हम जागरूक रहेंगे और सही सवाल पूछेंगे, तो हम ब्रांड्स को मजबूर कर सकते हैं कि वे असली बदलाव लाएँ।

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