पिछले कुछ हफ्तों में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को लेकर एक बार फिर तनाव भड़क गया है। आइए समझते हैं कि इस बार मामला क्यों गर्माया और ये क्यों अहम है।
विवाद की चिंगारी कैसे भड़की?
28 मई 2025 को थाईलैंड के उबोन राचथानी प्रांत के चोंग बोक इलाके में करीब 10 मिनट की गोलीबारी में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई। दोनों देश एक-दूसरे पर फायरिंग शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं। कंबोडिया का कहना है कि उसके सैनिक सामान्य गश्त पर थे, जबकि थाईलैंड का दावा है कि उनकी सेना बातचीत कर रही थी तभी गोलियां चलने लगीं।
यह घटना उन ऐतिहासिक स्थलों जैसे कि प्रेह विहार और टा मोन मंदिरों को लेकर पुराने विवादों को फिर से सतह पर ले आई है, जिन पर सदीयों से संघर्ष चलता आ रहा है।
सैन्य जमावड़ा और सीमा चौकियों की सख्ती
इस टकराव के बाद:
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थाईलैंड ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है।
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थाई सेना का दावा है कि कंबोडियाई सैनिक और नागरिक बार-बार थाई क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं।
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सुरक्षा के मद्देनज़र, थाईलैंड ने कुछ सीमा चौकियों को बंद कर दिया है या उनके काम के घंटे घटा दिए हैं। उदाहरण के तौर पर, बान ख्लोंग लुएक चौकी अब सिर्फ सुबह 8 से शाम 4 बजे तक खुली रहती है, जिससे हजारों लोग फंसे हुए हैं।
कूटनीति – नाजुक संतुलन की चुनौती
कंबोडिया इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जा रहा है। प्रधानमंत्री हुन मानेट ने पुष्टि की है कि वे चार विवादित क्षेत्रों को लेकर अंतरराष्ट्रीय फैसला चाहेंगे, भले ही थाईलैंड इस कोर्ट की अधिकारिता को मान्यता नहीं देता।
वहीं, थाईलैंड सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत के जरिए हल निकालने पर जोर दे रहा है। वे थाई-कंबोडिया संयुक्त सीमा आयोग (JBC) की 14 जून को होने वाली बैठक की तैयारी कर रहे हैं ताकि आमने-सामने की बातचीत से तनाव कम हो सके।
लंबे समय से चला आ रहा विवाद
समयरेखा | मुख्य घटनाएं |
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1907 | फ्रांस ने सीमा मानचित्र बनाए जब कंबोडिया फ्रांसीसी उपनिवेश था |
1962 और 2013 | अंतरराष्ट्रीय अदालत ने प्रेह विहार मंदिर को कंबोडिया को सौंपा |
2008–2011 | प्रेह विहार और टा मोन मंदिर क्षेत्र में कई खूनी झड़पें |
13 फरवरी 2025 | थाई सैनिकों ने टा मोन थॉम मंदिर के पास कंबोडियाई गतिविधियों को रोका |
28 मई 2025 | चोंग बोक में संघर्ष, एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया |
2 जून 2025 | कंबोडिया ने औपचारिक रूप से मामला ICJ में ले जाने की घोषणा की |
14 जून 2025 | थाई-कंबोडिया JBC बैठक निर्धारित |
यह संघर्ष सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि गौरव, इतिहास और राजनीति का संगम है। दोनों देशों के नेता – थाईलैंड में थाकसिन शिनावात्रा और कंबोडिया में हुन सेन के परिवार – इसमें व्यक्तिगत और राजनीतिक तौर पर जुड़े हुए हैं।
अभी क्या स्थिति है?
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थाईलैंड का रुख: सेना को तैयार रखना, सीमा पर नियंत्रण बढ़ाना और ICJ को नकारते हुए द्विपक्षीय वार्ता को प्राथमिकता देना।
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कंबोडिया का रुख: ICJ में याचिका दाखिल करना और उसे कानूनी लड़ाई के रूप में पेश करना।
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क्षेत्रीय प्रतिक्रिया: ASEAN, मलेशिया और चीन ने संयम बरतने और मध्यस्थता की पेशकश की है।
अब क्यों बढ़ा विवाद? घरेलू और क्षेत्रीय दबाव
थाईलैंड में राजनीतिक अस्थिरता, स्वास्थ्य मंत्री सोमसाक के विवाद और अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याएं सरकार का ध्यान सीमाओं की ओर खींच रही हैं। वहीं कंबोडिया में पीएम हुन मानेट जनता को दिखाना चाहते हैं कि वे राष्ट्रीय संप्रभुता के रक्षक हैं।
आगे क्या? बढ़ेगा तनाव या मिलेगी राहत?
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14 जून 2025: पेनोम पेन्ह में JBC बैठक अहम होगी। अगर बातचीत सफल रही तो तनाव घट सकता है, वरना मामला और गरमाएगा।
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सेना की तैयारियाँ: थाईलैंड हाई-लेवल ऑपरेशन की तैयारी में है, और कंबोडिया भी सीमा पर सैनिक बढ़ा रहा है।
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जनता का मूड: दोनों देशों में राष्ट्रवाद बढ़ रहा है जो कूटनीतिक लचीलापन कम कर सकता है।
निष्कर्ष
थाई-कंबोडियाई सीमा विवाद इतिहास, राजनीति और राष्ट्रीय सम्मान का जटिल मिश्रण है। 28 मई को हुई गोलीबारी अब एक बड़े कूटनीतिक युद्ध की शक्ल लेती जा रही है। अब देखना है कि दोनों देश बात से बात बनाते हैं या फिर इतिहास उन्हें फिर एक बार आमने-सामने ला देता है।