चालाकी या चोरी? फर्जी ट्रांसफर स्लिप से थाई युवक ने उड़ाए 51 लॉटरी टिकट।

क्या आपने कभी किसी को अपना सामान लेकर ऐसे गायब होते देखा है कि आप बस सोचते रह जाएं  ये इतनी आसानी से कैसे हो गया? यही कहानी है उडोन थानी की, जहां एक आदमी ने फर्जी मोबाइल बैंकिंग ट्रांसफर स्लिप दिखाकर 51 लॉटरी टिकट ले उड़ा। आइए जानते हैं पूरी बात।

कैसे हुआ पूरा खेल तेज़ और चालाकी से

सोचिए, ताज़ा सब्ज़ी के बाजार में एक व्यस्त दुकान। एक आदमी काले और पीले जैकेट में आता है, टिकट चुनता है जैसे दुकान उसी की हो। दुकानदार, बूनमी बूटफो, पहले 40 टिकट और फिर 10 टिकट और देती हैं, साथ में एक मुफ्त टिकट भी। वह मोबाइल बैंकिंग ऐप से भुगतान करने का दावा करता है QR कोड स्कैन करता है, फर्जी ट्रांसफर स्लिप दिखाता है… और देखते ही देखते 5,100 बाट के टिकट जेब में डालकर निकल जाता है। लेकिन पैसे? खाते में एक भी रुपया नहीं आया। यही वह पल था जब शक और हैरानी दोनों बढ़ गए। बूनमी ने सीसीटीवी फुटेज के साथ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई और अब पुलिस इस डिजिटल ठग की तलाश में है।

दुकानदार की उम्मीद  सज़ा नहीं, समाधान

दिल छूने वाली बात यह है कि बूनमी और उनकी बेटी ने गुस्सा करने के बजाय पहले समझदारी दिखाई। उन्होंने सोचा शायद आदमी ने गलती से ट्रांजैक्शन भेजा ही नहीं। उन्होंने उसे मौका दिया टिकट वापस करे या पैसे चुका दे, तो केस वापस ले लेंगी। ये सख़्ती और इंसानियत का एक साथ मेल है जैसे कहना, “गलती हुई है, पर इसे सुधार लो।”

पुराना तरीका सिर्फ़ बदकिस्मती नहीं, सोच-समझकर किया गया अपराध

दुर्भाग्य से यह पहली बार नहीं हुआ। पटाया में भी एक भारतीय युवक ने ऐसा ही किया 90,000 बाट का फर्जी भुगतान दिखाकर नाइटक्लब का बिल चुकाने से बचा। पुलिस ने उसके “पहली बार” वाले बहाने पर यकीन नहीं किया और अब जांच कर रही है कि कहीं उसने पहले भी यह ट्रिक तो नहीं अपनाई।

झटपट झलक: घोटाले का सार
बिंदु विवरण
तरीका फर्जी मोबाइल बैंक ट्रांसफर स्लिप
शिकार उडोन थानी की लॉटरी विक्रेता
नुकसान 51 टिकट (~5,100 बाट)
दुकानदार की प्रतिक्रिया पुलिस रिपोर्ट दर्ज, वापसी या भुगतान पर केस वापस लेने का प्रस्ताव
समान मामला पटाया में भारतीय युवक ने 90,000 बाट का फर्जी भुगतान किया
निष्कर्ष

साफ़ है यह कोई गलती नहीं थी, बल्कि सोची-समझी चाल थी। बूनमी की शांत लेकिन दृढ़ प्रतिक्रिया इस बात का सबूत है कि डिजिटल धोखाधड़ी के सामने भी गरिमा बनाए रखी जा सकती है। अगर आप छोटे विक्रेता हैं, तो हमेशा भुगतान की पुष्टि करें तब तक माल न दें। इस तरह की “तेज़ चोरी” किस्मत का खेल नहीं, बल्कि लापरवाही का नतीजा है।

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