सीधे मुद्दे पर आते हैं थाईलैंड की महत्वाकांक्षी योजना, जो रणोंग और चुमफोन को जोड़ने वाले विशाल लैंड ब्रिज के निर्माण से जुड़ी है, अब सवालों के घेरे में है। 26 अगस्त 2025 को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने सरकार को चेतावनी दी और इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगाने की सलाह दी। वजह? जनता की भागीदारी की कमी, कमज़ोर आर्थिक आधार और गंभीर पर्यावरणीय व मानवाधिकार जोखिम।
आखिर क्यों रोकना चाहती है NHRC?
NHRC ने साफ़ कहा किसानों के संगठनों, रक पाथो संरक्षण समूह और स्थानीय लोगों से ढेरों शिकायतें मिली हैं। लोगों को डर है कि ज़मीन छिनी जाएगी, जबरन औद्योगिक क्षेत्र, बांध और पावर प्लांट बनाए जाएंगे। सबसे ज़्यादा असर समुद्री जिप्सी (Sea Gypsies) जैसी संवेदनशील समुदायों पर पड़ेगा।
पैसों की बात करें तो, आर्थिक अध्ययन बताते हैं कि ये प्रोजेक्ट फायदेमंद साबित नहीं होगा। नेशनल इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट काउंसिल ने चेताया कि यह मौजूदा सिंगापुर रूट से तेज़ तो नहीं होगा, उल्टा महंगा पड़ेगा और तय किए गए व्यापार का पांचवां हिस्सा भी नहीं संभाल पाएगा।
ज़मीनी हकीकत आधे-अधूरे सुनवाई और अधूरी पारदर्शिता
सरकार का दावा है कि उसने दर्जनों पब्लिक हियरिंग्स कीं, लेकिन NHRC का कहना है कि यह अधूरा था। ये सुनवाई बिखरी हुई, अपारदर्शी और अधूरी थीं। कई स्थानीय लोग खासकर दूर-दराज़ द्वीपों पर बसे अल्पसंख्यक बिल्कुल शामिल ही नहीं हुए। चर्चाएँ ज्यादातर नुकसान कम करने पर केंद्रित थीं, न कि जनता को असली हक़ देने पर। यह थाईलैंड के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानकों दोनों के खिलाफ़ है।
त्वरित सारांश NHRC क्यों रोक चाहती है
मुद्दा | NHRC की आपत्तियाँ |
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जन भागीदारी | लोग बाहर रह गए, सुनवाई अधूरी और टुकड़ों में हुई |
आर्थिक व्यवहार्यता | लागत ज़्यादा, फ़ायदा कम, व्यापार पर सीमित असर |
पर्यावरणीय जोखिम | मैंग्रोव, वेटलैंड और यूनेस्को सूचीबद्ध क्षेत्रों पर खतरा |
मानवाधिकार | रोज़गार और जीवनशैली पर खतरा, आदिवासी समुदाय उपेक्षित |
निष्कर्ष: रुकना है, रद्द नहीं करना
सीधी बात NHRC प्रोजेक्ट को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रही, बस कह रही है कि पहले सोच-समझ लें। थाईलैंड को पारदर्शी संवाद, मजबूत आर्थिक आधार और पर्यावरण व समुदायों का सम्मान सुनिश्चित करना होगा। असली पुल बनाने से पहले, संवाद का पुल बनाना ज़रूरी है।