45,000 बाट की तनख्वाह पर बच्चे की देखभाल की नौकरी पर फेसबुक पर हंगामा।

हाल ही में थाईलैंड में एक फेसबुक जॉब लिस्टिंग ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी। इस पोस्ट में एक आठ साल के बच्चे की देखभाल करने के लिए 45,000 बाट प्रति माह की पेशकश की गई थी। सुनने में तो यह ऑफर शानदार लगता है, है ना? लेकिन असली ट्विस्ट ने लोगों को हक्का-बक्का कर दिया बताया गया कि बच्चा बेहद बुद्धिमान होने के बावजूद हिंसक प्रवृत्ति का है।

आखिर इस नौकरी के ऑफर में क्या था चौंकाने वाला?
पोस्ट में बच्चे का मिला-जुला व्यक्तित्व दिखाया गया। 150 का आईक्यू होने के कारण उसे जीनियस बताया गया, लेकिन उसके व्यवहार ने सभी को चिंता में डाल दिया। सिर्फ छह साल की उम्र में उसने कथित तौर पर एक सहपाठी की उंगलियां पत्थर से कुचल दीं और एक बिल्ली की हत्या कर दी। सजा मिलने के बाद भी वह मुस्कुराता रहा।

देखभाल करने वाले के सामने दो विकल्प रखे गए:

  • बच्चे को अपने घर ले जाकर देखभाल करें: 45,000 बाट मासिक, साथ में खाना और बिल का खर्च अलग।

  • पोस्ट करने वाले के घर में रहकर देखभाल करें: 35,000 बाट मासिक, बिना अतिरिक्त सुविधा।

नेटिज़न्स ने मांगी मानसिक स्वास्थ्य सहायता, सिर्फ पैसों से नहीं हल
हजारों फेसबुक यूज़र्स ने इस पर प्रतिक्रिया दी और ज्यादातर की राय साफ थी: इस बच्चे को सिर्फ केयरटेकर नहीं, बल्कि मनोचिकित्सक की मदद चाहिए। कई लोगों को डर था कि अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो यह बच्चा इंसानों और जानवरों दोनों के लिए खतरा साबित हो सकता है। लोगों ने अभिभावक से कहा कि पैसों का लालच देने से बेहतर है विशेषज्ञ से सलाह ली जाए।

थाईलैंड में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर सवाल
यह वायरल मामला एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है: थाईलैंड में मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जब तक कि स्थिति गंभीर न हो जाए। पोस्ट करने वाले का इरादा भले ही सही हो, लेकिन यह साफ दिखाता है कि बच्चों की मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए सही जागरूकता और संसाधनों की कमी है।

केयरटेकर नौकरी का विवरण

विकल्प वेतन (बाट/माह) रहने की व्यवस्था अतिरिक्त सुविधा
बच्चे को अपने घर लाना 45,000 केयरटेकर का घर खाना और बिल का खर्च शामिल
पोस्टर के घर में रहना 35,000 पोस्टर का घर कम वेतन, कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं

निष्कर्ष
जो एक साधारण नौकरी का विज्ञापन लग रहा था, वह बच्चों की परवरिश, जिम्मेदारी और मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रीय बहस में बदल गया। पैसा देना आसान हल लग सकता है, लेकिन जब बच्चा गंभीर व्यवहारिक समस्याएं दिखा रहा हो, तो असली समाधान पेशेवर मदद में है सिर्फ वेतन में नहीं।

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