उत्तरी थाईलैंड में एक सुबह ऐसा हादसा हुआ जिसने सबको हिला दिया। एक आदमी नान नदी पर बने पुल पर बहकर आए बांस के बेड़े (राफ्ट) को रस्सी से बाँधने की कोशिश कर रहा था। तभी उसका हाथ पुल से लटक रही हाई-वोल्टेज तार से छू गया। तेज बिजली का झटका उसे नदी में फेंक गया और वह फिर दिखाई नहीं दिया।
अब तक उसका शव नहीं मिला है। बचाव दल लगातार नदी किनारों पर तलाश कर रहा है और जांच चल रही है कि आखिर खतरनाक बिजली की तार सार्वजनिक पुल पर कैसे लटक रही थी।
उस दिन क्या हुआ था?
ज़रा सोचिए ऊपर से छूटा एक बेड़ा, तेज धारा में बहते हुए पुल की ओर बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों को डर था कि इससे नुकसान होगा। तभी एक व्यक्ति बहादुरी से (या कहें जल्दबाजी में) उसे रस्सी से पुल से बाँधने लगा। लेकिन इसी दौरान उसका हाथ तार से छू गया। गवाहों ने बताया कि उसके शरीर पर चिंगारियाँ फूटीं और वह नदी में गिर गया।
एक स्वयंसेवक ने मदद की कोशिश की लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बेड़ा तो बाद में नीचे जाकर मिल गया, लेकिन आदमी का कोई पता नहीं चला।
ढांचा, खतरे और स्थानीय नाराज़गी
हादसे के बाद लोगों ने सवाल उठाया एक जीवित हाई-वोल्टेज तार आखिर पुल से लटक कैसे रही थी? पुल तो लोगों के लिए सुरक्षित रास्ता होना चाहिए, मौत का जाल नहीं।
खासकर बारिश के मौसम में नान नदी की धारा तेज होती है, पानी बढ़ जाता है और छुपे हुए खतरे और घातक बन जाते हैं। अब लोग मांग कर रहे हैं कि पुलों और नदियों के पास ढाँचों की जाँच हो और सुधार किया जाए।
प्रशासन ने भी चेतावनी दी है बाढ़ या आपात स्थिति में पुलों और तारों को छूने से बचें। बिना सुरक्षा उपकरणों के ऐसे कदम उठाना जानलेवा हो सकता है।
बचाव अभियान और जांच – आगे क्या?
बचाव दल नदी किनारों पर खोज जारी रखे हुए हैं। गोताखोर, सोनार और ज़मीनी टीमें लगी हैं। लेकिन गंदे पानी और मलबे के कारण तलाश आसान नहीं है।
जांचकर्ता अब रखरखाव के रिकॉर्ड, बिजली विभाग के कागज़ात और गवाहों के बयान खंगालेंगे। उनका मकसद है यह पता लगाना कि इस लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार कौन है।
बेहतर समझ के लिए घटनाओं की समयरेखा यहाँ तालिका में दी गई है:
| चरण | क्या हुआ | प्रतिक्रिया या चिंता |
|---|---|---|
| बेड़ा छूटता है | बेड़ा ऊपर से बहकर पुल की ओर आता है | लोगों ने खतरे को देख लिया |
| बाँधने की कोशिश | आदमी रस्सी से बेड़े को रोकने लगता है | तार से छूने पर बिजली का झटका |
| आदमी गायब होता है | झटका लगते ही नदी में गिर जाता है | बचाव दल तुरंत खोज शुरू करता है |
| बेड़ा बरामद होता है | बेड़ा नीचे जाकर मिला | खतरे की पुष्टि लेकिन आदमी का सुराग नहीं मिला |
| जांच शुरू होती है | प्रशासन और लोग जवाब मांगते हैं | बिजली और ढांचे की लापरवाही की पड़ताल |
निष्कर्ष
यह हादसा याद दिलाता है कि आपात स्थिति में खतरा कभी भी, कहीं से भी सामने आ सकता है। वह व्यक्ति बेड़े को रोककर नुकसान टालना चाहता था, लेकिन छुपा हुआ ख़तरा उसके सामने आ गया। अब स्थानीय लोग जवाब मांग रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी लापरवाहियाँ रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएँगे।